योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राण+आयाम से प्राणायाम शब्द बनता है। प्राण का अर्थ जीवात्मा माना जाता है । आयाम के दो अर्थ है- प्रथम नियंत्रण या रोकना, द्वितीय विस्तार । हम जब साँस लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पाँच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर पाँच जगह स्थिर हो जाता हैं। ये पंचक निम्न हैं- (1) व्यान, (2 )समान, (3) अपान, (4) उदान और (5) प्राण।
बाबा रामदेव के प्राणायाम और योगासनो से लोगो को असाध्य रोगो मे फायदा हो रहा हो. कैन्सर,मधुमेह, ब्लड प्रेशर, बढा वजन और ढेर सारी बिमारिया जिसका आपने शायद नाम भी न सुना होगा, मे लोगो को इससे लाभ हो रहा है.
बाबा रामदेव के सात प्राणायाम
बाबा रामदेव के सात प्राणायाम को सक्षिंप्त रूप से वणित किया गया है, विस्त्रित जानकारी के लिए सम्बधिंत प्राणायाम के नाम पर अथवा चित्र पर क्लिक करें !!
1. भस्त्रिका प्राणायाम
प्रक्रिया : किसी भी आरामदायक आसन में बैठें । दोनो नासिकाओं से तब तक सांस लें जब तक कि फेफडे पूरी तरह से न भर जांए और डाईफ्राम फैल जाए । फ़िर धीरे से सांस को बाहर फैंके । गहरी सांसे लें और पुरी तरह से खाली करें ।
अवधी : कम से केम 2 मिनट और अधिकतम पंक्ति मिनट ।
लाभ : ह्र्दय, फेफेडे, दिमाग, डिप्रेशन, सिर दर्द, माईग्रैन, लकवा, आभा तेज, मोटापा, कब्ज, गैस्ट्रिक, लिवर सम्बन्धी रोग, हेपाटिटिस - बी, गर्भाशय, मधुमेह, अमाशय सम्बन्धि समस्याओं,कौलेस्टरौल, एलर्जी, दमा, खर्राटे लेना, एकाग्रता, कैन्सर, एड्स । अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
2. कपाल भाती प्राणायाम
अवधी : 30 बार या 1 मिनट से शुरु करके, 5 मिनट और ज्यादा बिमारी हो तो 15-20 मिनट तक कर सकते है ।
लाभ : मोटापे को कम करने मे, पेट की तमाम बिमारिया (कब्ज,एसिडिटी आदि), गुर्दा, मधुमेह , सोते समय नाक बजना (खर्राटे लेना), कोलेस्ट्रोल और चेहरे का ओज-तेज, गैस्ट्रिक, हेपाटिटिस - बी, गर्भाशय, मधुमेह, , एलर्जी, दमा, एकाग्रता, कैन्सर, एड्स आदि मे लाभदायक ।
सावधानी : ह्र्दय रोगी व उच्च रक्तचाप और कमजोर लोग इस प्राणायाम को धीरे से करें । अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
3. बाह्य प्राणायाम
प्रक्रिया : ठुडी को गले से लगा दे, पेट के नीचे बन्द लगा दे और साँस बाहर छोडकर पेट को अन्दर रीढ की हड्डी से चिपका दे, थोडी देर साँस बाहर छोडकर रखे ।
अवधी : इसे 2-5 बार करे. इस प्राणायाम से कपालभाति से मिलने वारे सारे फायदे होते है, दूसरे शब्दो मे यह कपालभाति का पूर्णक है ।
लाभ : कब्ज, अँसीडीटी,गँसस्टीक, हर्निया, धातु,और पेशाब से संबंधित सभी समस्याएँ मिट जाती हैं ।
सावधानी : ह्र्दय रोगी व उच्च रक्तचाप से ग्रसित लोग इस प्राणायाम को न करें ।
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4. अनुलोम विलोम प्राणायाम
प्रक्रिया : दाई नाक अगुँठे से बन्द करे, बाई से लम्बी साँस ले । अब दाई नाक खोले और बाई नाक को मध्य अँगुली से बन्द करे, और दाई नाक से साँस बाहर छोडे. अब दाई नाक से साँस अन्दर ले । अब दाई नाक अगुँठे से बन्द करे, बाई से साँस बाहर छोडे ।
अवधी : कम से कम 10 मिनट ।
लाभ : इस प्राणायाम से दिल,धमनियो की रुकावट (ब्लड प्रेशर), जोडो का दर्द दिमाग, माइग्रेन, लकवा, स्नायु सम्बन्धित,अस्थमा, एलर्जी आदि मे लाभ होता है ।
सावधानी : श्वासों को फेफडे में भरें न कि पेट मे। पेट मे कोइ भी अंग आक्सीजन को शोषित नहीं करता है । जल्दबाजी न करें धीरे से करें, आव्श्यकता पर विश्राम करें ।
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5. भ्रामरी प्राणायाम
प्रक्रिया : लंबी और गहरी सांस लेते हुए फेफड़े पूरी तरह भर लें। कुछ सेकंड के लिए सांस रोके रखें। न रूकने की स्थिति में नाक से भंवरे की तरह गुंजन करते हुए सांस को बाहर निकालें। ध्यान रहे कि गुंजन की लय टूटनी नहीं चाहिए। फिर कुछ सेकंड के लिए सांस बाहर ही रोकें।
अवधी : शुरू -शुरू में पांच से सात चक्र ही काफी हैं। धीरे-धीरे संख्या बढ़ाते जाएं।
लाभ : चिंता, हाइपर्टैन्शन, उच्च रक्तचाप, हार्ट बलौकेज, लकवा, माईग्रैन, आत्मविश्वास, एकाग्रता ।
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6. उद्गीथ प्राणायाम
प्रक्रिया : सुखासन,सिद्धासन,पद्मासन,वज्रासन में बैठें। लंबी सांस धीरे से लें, और ओउम का जाप करें । सांस को अन्दर और बाहर छोडने की प्रक्रिया लम्बी, धीरे व सूक्ष्म होनी चाहिए । अभ्यास के साथ श्वास अवधी को एक मिनट लम्बा करें । श्वास को शरीर के अन्दर प्रवेश करते हुए महसूस करें । आरम्भिक अवस्था मे साधक श्वांस को केवल नाक में ही महसूस करेगा और अभ्यास के साथ साँस को शरीर के अन्दर भी महसूस किया जा सकता है ।
अवधी : 10 मिनट या अधिक
लाभ : बुरे स्वपन से निजात पाने और गहरी नींद के लिए लाभदायक । मन को एकाग्र करने व योगनिन्द्रा के अभयास के लिए भी लाभदायक मायग्रेन पेन, डीप्रेशन,ऑर मस्तिषक के सम्बधित सभी व्यधिओको मीटाने के लिये । ब्रम्हानंद की प्राप्ती करने के लिए। मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढाने के लिये।
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7. प्रणव प्राणायाम
प्रक्रिया : सुखासन,सिद्धासन,पद्मासन अथवा वज्रासन में एकदम शान्त बैठें। स्वभाविक रूप से सांस ले | मन को सांसों के आवागमन पर केन्द्रित करपंक्ति सांसों को दृष्टा के रूप मे देखें ।
अवधी : 2-5 मिनट या अधिक
लाभ : प्रणव प्राणायाम से मन और मस्तिषक की शांति मिलती है| ब्रम्हानंद की प्राप्ती करने के लिए और मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढाने के लिये बहुत उपयोगी है । अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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